आज के समय में चेक का उपयोग व्यापारिक और व्यक्तिगत लेन-देन के लिए काफी प्रचलित है। लेकिन कई बार हमें “bounce cheque” की स्थिति का सामना करना पड़ता है, जो कानूनी और वित्तीय परेशानी का कारण बन सकती है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि bounce cheque क्या होता है, इसके पीछे क्या कारण होते हैं, इससे जुड़ी कानूनी प्रक्रिया और इससे कैसे निपटा जा सकता है।
Bounce Cheque का मतलब क्या है?
जब कोई बैंक चेक को उसकी भुगतान की प्रक्रिया पूरी करने से इंकार कर देता है, तो उसे “bounce cheque” कहा जाता है। इसका मुख्य कारण यह होता है कि चेक में दी गई राशि का भुगतान नहीं हो पाता, जिसके कारण बैंक चेक को लौटाता है। इस स्थिति में चेक धारक (payee) को भुगतान नहीं मिल पाता और इसे कानूनी रूप से ग़लत माना जाता है।
Bounce Cheque क्यों होता है?
चेक बाउंस होने के कई कारण हो सकते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख कारण दिए गए हैं:
- बैंक खाते में अपर्याप्त बैलेंस – सबसे सामान्य कारण है कि चेक जारी करने वाले (drawer) के बैंक खाते में पर्याप्त राशि नहीं होती।
- तारीख की ग़लती – यदि चेक में तारीख ग़लत हो या वह ‘स्टेल’ हो जाए (चेक की वैधता समाप्त हो जाए) तो बैंक उसे अस्वीकार कर देता है।
- सिग्नेचर मिसमैच – चेक पर सिग्नेचर बैंक रिकॉर्ड से मेल नहीं खाता तो भी चेक बाउंस हो सकता है।
- ओवरड्राफ्ट लिमिट – कभी-कभी खाते में ओवरड्राफ्ट लिमिट से अधिक चेक जारी कर दिया जाता है, जो कि नियमों का उल्लंघन होता है।
- चेक में कोई तकनीकी त्रुटि – अगर चेक पर कोई अनियमितता जैसे काट-छांट, गलत जानकारी, या फटे हुए चेक की स्थिति हो, तो बैंक उसे अस्वीकार कर सकता है।
कानूनी प्रावधान: Bounce Cheque के लिए कानून
भारत में bounce cheque से संबंधित कानून भारतीय दंड संहिता (IPC) और नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 के तहत आता है। इसकी धारा 138 चेक बाउंस की स्थिति में कानूनी कार्रवाई का प्रावधान करती है। अगर कोई चेक बाउंस होता है, तो चेक प्राप्तकर्ता (payee) के पास कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार होता है।
धारा 138 के तहत निम्नलिखित स्थितियों में मामला दर्ज किया जा सकता है:
- चेक किसी ऋण या देनदारी का भुगतान करने के लिए जारी किया गया हो।
- चेक बाउंस होने पर प्राप्तकर्ता को 30 दिनों के अंदर भुगतान की मांग के लिए एक नोटिस भेजनी होती है।
- अगर नोटिस भेजने के 15 दिनों के अंदर भुगतान नहीं किया जाता है, तो प्राप्तकर्ता आरोपी के खिलाफ अदालत में केस दायर कर सकता है।
Bounce Cheque पर केस कैसे होता है?
यदि चेक बाउंस हो जाता है, तो निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है:
- डिमांड नोटिस – चेक बाउंस होने के बाद प्राप्तकर्ता (payee) को एक लिखित नोटिस भेजनी होती है। इस नोटिस में चेक बाउंस का कारण और भुगतान की मांग की जाती है।
- केस दर्ज – यदि 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तो प्राप्तकर्ता अदालत में केस दर्ज कर सकता है।
- अदालती प्रक्रिया – अदालत केस की सुनवाई करेगी और आरोपी को सजा या दंड दे सकती है। आरोपी को जेल की सजा (अधिकतम 2 साल) या जुर्माना (चेक की राशि से दोगुना) हो सकता है।
Drawer, Drawee और Payee का मतलब
चेक से जुड़े तीन मुख्य पक्ष होते हैं:
- Drawer – वह व्यक्ति या संस्था जो चेक जारी करता है।
- Drawee – वह बैंक जो चेक का भुगतान करता है।
- Payee – वह व्यक्ति या संस्था जिसके नाम पर चेक जारी किया गया है और जिसे भुगतान प्राप्त करना होता है।
Cross Cheque क्या होता है?
Cross cheque एक सुरक्षित तरीका होता है, जिसमें चेक के ऊपर दो समानांतर रेखाएं खींची जाती हैं। इसका मतलब होता है कि चेक को केवल बैंक खाते में ट्रांसफर किया जा सकता है, इसे कैश में बदलना संभव नहीं होता। यह विधि सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि भुगतान सीधे संबंधित व्यक्ति या संस्था के खाते में ही होगा।
Bounce Cheque से बचने के उपाय
चेक बाउंस होने से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
- अपने खाते में पर्याप्त बैलेंस रखें।
- चेक लिखते समय सटीक जानकारी दें और सिग्नेचर सही से करें।
- चेक जारी करते समय तारीख की वैधता और अन्य नियमों का पालन करें।
- यदि कोई चेक स्टेल (समाप्त अवधि का) हो गया हो, तो उसे फिर से जारी करने से बचें।
- अगर आप कोई cross cheque जारी कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि संबंधित पक्ष इसका उपयोग सही तरीके से करेगा।
निष्कर्ष
Bounce cheque न केवल आपके वित्तीय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यह कानूनी समस्याओं का भी कारण बन सकता है। इस विषय पर जानकारी होना इसलिए ज़रूरी है ताकि आप इससे बच सकें और सही समय पर आवश्यक कानूनी कदम उठा सकें। यदि कभी आपको चेक बाउंस की स्थिति का सामना करना पड़े, तो भारतीय कानून आपको इसके खिलाफ कार्रवाई करने का पूरा अधिकार देता है।
उम्मीद है इस ब्लॉग से आपको bounce cheque से संबंधित पूरी जानकारी मिली होगी। अगली बार जब आप चेक का उपयोग करें, तो इन बिंदुओं का ध्यान रखें ताकि चेक बाउंस जैसी परेशानी से बचा जा सके।