NPA Loan Recovery-अगर बैंक लोन किया डिफ़ॉल्ट तो भुगतने होंगे ये परिणाम
(NPA Loan Recovery) अकाउंट NPA बनने के बाद की प्रक्रिया
जब कोई बैंक या वित्तीय संस्था का लोन अकाउंट NPA (Non-Performing Asset) बन जाता है, तो इसका मतलब है कि उधारकर्ता (बॉरोअर) द्वारा लोन की किस्तें या ब्याज भुगतान तीन महीने या 90 दिनों तक नहीं किया गया। इस स्थिति में बैंक या वित्तीय संस्थाएँ कुछ खास कदम उठाती हैं ताकि अपनी बकाया रकम की वसूली कर सकें। आइए इस पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझें:
बैंक या वित्तीय संस्थाएं लोन की वसूली के लिए कानूनी और गैर-कानूनी उपायों का सहारा लेती हैं। इसके अंतर्गत SARFAESI अधिनियम 2002, रिकवरी सर्टिफिकेट (RC), तहसीलदार के माध्यम से वसूली, और लोक अदालत की प्रक्रिया शामिल है।
1. NPA घोषित होने के बाद वसूली की प्रक्रिया (SARFAESI अधिनियम 2002)
SARFAESI अधिनियम (Securitization and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest Act, 2002) बैंकों को यह अधिकार देता है कि वे बिना अदालत में जाए अपने बकाया लोन की वसूली कर सकें। इस अधिनियम के तहत बैंकों के पास कई कानूनी अधिकार होते हैं:
- धारा 13(2) का नोटिस: जब लोन NPA बन जाता है, तो बैंक SARFAESI अधिनियम के तहत धारा 13(2) के अनुसार उधारकर्ता को नोटिस भेजता है। इस नोटिस में 60 दिनों का समय दिया जाता है ताकि उधारकर्ता बकाया राशि का भुगतान कर सके।
- धारा 13(4) के तहत संपत्ति की जब्ती: अगर 60 दिनों के भीतर उधारकर्ता बकाया राशि का भुगतान नहीं करता, तो बैंक संपत्ति को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। संपत्ति जब्त करने के बाद बैंक उसे नीलाम कर बकाया राशि की वसूली करता है।
2. रिकवरी सर्टिफिकेट (RC) और तहसीलदार के माध्यम से वसूली
जब बैंकों को लोन की वसूली SARFAESI अधिनियम के तहत मुश्किल लगती है, तो वे रिकवरी सर्टिफिकेट (RC) प्राप्त कर सकते हैं। यह सर्टिफिकेट डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) या अन्य प्राधिकरण द्वारा जारी किया जाता है। इसके बाद बैंक तहसीलदार के माध्यम से वसूली की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
- तहसीलदार की भूमिका: तहसीलदार को रिकवरी का कार्य सौंपा जाता है और वह अपने अधिकारों का प्रयोग कर उधारकर्ता की संपत्ति को जब्त कर सकता है। तहसीलदार प्रक्रिया के दौरान उधारकर्ता की चल-अचल संपत्ति को जब्त कर नीलाम कर सकता है।
- तहसीलदार को दी जाने वाली राशि: तहसीलदार द्वारा वसूली के लिए बैंकों को एक निर्धारित फीस का भुगतान करना पड़ता है, जो अलग-अलग राज्यों में अलग हो सकती है। यह फीस वसूली राशि का एक छोटा हिस्सा हो सकती है, जैसे 10% तक। लेकिन यह राज्य के नियमों और तहसीलदार की फीस संरचना पर निर्भर करती है।
3. व्यक्तिगत लोन (Personal Loan) में वसूली
जब कोई व्यक्ति व्यक्तिगत लोन में डिफॉल्ट करता है, तो बैंक उसी तरह की वसूली प्रक्रिया अपनाते हैं। हालांकि, व्यक्तिगत लोन में संपत्ति गिरवी नहीं होती है, इसलिए SARFAESI अधिनियम के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती। ऐसी स्थिति में बैंक निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाते हैं:
- कानूनी नोटिस: बैंक उधारकर्ता को कानूनी नोटिस भेजता है और बकाया राशि का भुगतान करने के लिए एक निश्चित समय देता है।
- कोर्ट में मुकदमा: अगर उधारकर्ता भुगतान नहीं करता, तो बैंक कोर्ट में मुकदमा दायर कर सकता है। कोर्ट उधारकर्ता के खिलाफ निर्णय सुनाकर उसकी संपत्ति या आय पर कब्जा कर सकता है।
- रिकवरी एजेंट: बैंक कई बार वसूली एजेंट्स को हायर करते हैं जो व्यक्तिगत लोन की वसूली के लिए उधारकर्ता से संपर्क करते हैं।
4. लोक अदालत में वसूली (Lok Adalat Process)
लोक अदालत एक वैकल्पिक विवाद समाधान प्रक्रिया है जो छोटे और बकाया विवादों को निपटाने के लिए उपयोग की जाती है। यह प्रक्रिया समय और लागत बचाने के लिए होती है और इसमें दोनों पक्षों के बीच समझौता किया जाता है।
- लोक अदालत की प्रक्रिया:
- बैंक और उधारकर्ता दोनों ही लोक अदालत में अपनी याचिका दर्ज कर सकते हैं।
- लोक अदालत में एक मध्यस्थता अधिकारी नियुक्त किया जाता है जो दोनों पक्षों की बात सुनता है और एक मध्यस्थ समझौते का प्रस्ताव देता है।
- अगर उधारकर्ता और बैंक दोनों समझौते से सहमत होते हैं, तो मामला हल हो जाता है। इसके बाद, अदालत उस समझौते को कानूनी मान्यता देती है।
- समझौता: लोक अदालत की प्रक्रिया में बिना जटिल कानूनी प्रक्रिया के समाधान प्राप्त होता है। इसमें उधारकर्ता को बकाया राशि चुकाने का एक नया तरीका और समय मिलता है, और बैंक को अपनी राशि की वसूली का एक सरल उपाय मिल जाता है।
एनपीए बनने के बाद वसूली की प्रक्रिया में SARFAESI अधिनियम, तहसीलदार के माध्यम से वसूली, और रिकवरी सर्टिफिकेट जैसे कानूनी साधनों का उपयोग होता है। व्यक्तिगत लोन में कानूनी नोटिस, कोर्ट में मुकदमे, और रिकवरी एजेंट्स की मदद ली जाती है। वहीं, लोक अदालत एक सुलभ और त्वरित समाधान प्रदान करता है, जिससे दोनों पक्षों को लाभ मिलता है।
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